उतारी है ज़मीं पर चाँदनी………ऐसे मे आ जाओ ।
फ़िज़ा मे घुल रही फूलों की खुशबू……तुम चले आओ ॥
न रक्खो हाथ चेहरे पे , न देखो यूं कनखियों से ।
ज़रा दीदार करने दे इन आँखों को……ना शर्माओ ॥
ज़ुबाँ खोलो , ना बोलो यूं निगाहों के इशारों से ।
न सुन पायेगी दुनिया अपनी बातों को……न घबराओ ॥
भरो न अश्क से आँखें , ज़माने के नज़ारों से ।
मेरी बाँहों मे ठुकरा के जहाँ सारा………चले आओ ॥
सजा दूं मै तेरा आँचल फ़लक़ के इन सितारों से ।
कभी तेरी भी ख्वाहिश थी यही ………अब ना ठुकराओ ॥
वो निकले घर से , आँचल को सजा कर इन सितारों से ।
मै खा जाऊं ना धोखा चाँद का ………ऐसे न भरमाओ ॥
Saturday, 6 December 2008
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Beautiful lines
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