Saturday 6 December, 2008

उतारी है ज़मी पर चाँदनी………

उतारी है ज़मीं पर चाँदनी………ऐसे मे आ जाओ ।
फ़िज़ा मे घुल रही फूलों की खुशबू……तुम चले आओ ॥

न रक्खो हाथ चेहरे पे , न देखो यूं कनखियों से ।
ज़रा दीदार करने दे इन आँखों को……ना शर्माओ ॥

ज़ुबाँ खोलो , ना बोलो यूं निगाहों के इशारों से ।
न सुन पायेगी दुनिया अपनी बातों को……न घबराओ ॥

भरो न अश्क से आँखें , ज़माने के नज़ारों से ।
मेरी बाँहों मे ठुकरा के जहाँ सारा………चले आओ ॥

सजा दूं मै तेरा आँचल फ़लक़ के इन सितारों से ।
कभी तेरी भी ख्वाहिश थी यही ………अब ना ठुकराओ ॥

वो निकले घर से , आँचल को सजा कर इन सितारों से ।
मै खा जाऊं ना धोखा चाँद का ………ऐसे न भरमाओ ॥

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